पशुओं के प्रति संवेदनशील होना जरूरी- पूर्णिमा प्रांजल

Fri 18-Oct-2024,06:26 PM IST +05:30

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पशुओं के प्रति संवेदनशील होना जरूरी- पूर्णिमा प्रांजल पशुओं के प्रति संवेदनशील होना जरूरी- पूर्णिमा प्रांजल
  • पशु क्रूरता निवारण पर तैयाबपुर मंगौरा, करारी में आयोजित हुआ विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर। 

  • शिविर में अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कौशाम्बी पूर्णिमा प्रांजल  द्वारा बताया गया कि पशुओं को अनावश्यक पीड़ा या यातना पहुंचाने के निवारणार्थ और उस प्रयोजन के लिए पशुओं के संरक्षण हेतु पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 है। 

Uttar Pradesh / Kaushambi District :

कौशाम्बी/आज दिनांक 18 अक्टूबर, 2024 को विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में ग्राम पंचायत तैयबपुर मंगौरा, करारी कौशाम्बी के सामुदायिक भवन में पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण पर विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। 

शिविर में अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कौशाम्बी पूर्णिमा प्रांजल  द्वारा बताया गया कि पशुओं को अनावश्यक पीड़ा या यातना पहुंचाने के निवारणार्थ और उस प्रयोजन के लिए पशुओं के संरक्षण हेतु पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960  है। इस अधिनियम में दिए गए प्रावधानों के बारे में बताया कि पशु मानव जीवन और सह-अस्तित्व के सबसे बड़े सहयोगी हैं  इसलिए पशु स्वामियों का कर्तव्य है कि वे पशुओं को अनावश्यक पीड़ा न पहुंचाएं एवं उन्हें किसी के द्वारा पीड़ा पहुंचाने से रोकें व उनकी आवश्यक देखभाल करें। उ०प्र० गोवध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को पारित किया गया। इसके अन्तर्गत ऐसे प्रत्येक व्यक्ति का, जिसकी देख-रेख या भारसाधन में कोई पशु है, यह कर्तव्य होगा कि वह ऐसे पशु का कल्याण सुनिश्चित करने तथा उसे अनावश्यक पीड़ा या यातना पहुंचाने का निवारण करने के लिए सभी समुचित उपाय करें। गोवध निवारण अधिनियम पर प्रकाश डालते हुए अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बताया गया कि जो कोई किसी गाय या उसके गोवंश को ऐसी शारीरिक क्षति कारित करता है जो उसके जीवन को संकटापन्न करें यथा गोवंश का अंग भंग करना, उनके जीवन को संकटापन्न करने वाली किसी परिस्थिति में उनका परिवहन करना, उनके जीवन को संकटापन्न करने के आशय से भोजन पानी आदि का लोप करना, वह ऐसी अवधि के कठोर कारावास, जो अन्यून एक वर्ष होगी और जो सात वर्ष तक हो सकती है, से और एसे जुर्माना, जो अन्यून एक लाख रुपये होगा, और जो तीन लाख रुपये तक हो सकता है, से दण्डित किया जायेगा। साथ ही उपस्थित सभी लाभार्थियों को साक्षरता शिविर में  यह संकल्प दिलाया गया कि वे भविष्य में कभी भी किसी पशु के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार नही करेंगे और सभी पशुओं के संरक्षण का प्रयास करेंगे। किसी भी प्रकार की विधिक सहायता या निःशुक्ल पैरवी हेतु अधिवक्ता की आवश्यकता हो तो जिले की सभी तहसीलों में स्थित लीगल एड सेंटर पर उपस्थित पीएलवी से उनका प्रार्थना पत्र तैयार कराकर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में उपलब्ध कराएं।

विधिक जागरुकता/साक्षरता शिविर के माध्यम से अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी द्वारा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ द्वारा संचालित किये जा रहे विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रमों और प्रदान की जा रही सुविधाओं आदि के बारे में भी बताया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी बताया गया। 
शिविर को सचिव महोदया के अतिरिक्त नायब तहसीलदार, मंझनपुर श्री मोबीन अहमद, पशु चिकित्सक सिराथू डा. बाल कृष्ण राजपूत एवं डॉक्टर नरेन्द्र दिवाकर ने भी संबोधित किया। 
शिविर में क्षेत्रीय लेखपाल पंकज कुमार मौर्य, ग्राम प्रधान राम कैलाश पाल, पंचायत सहायक पवन कुमार, सूबेदार सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामवासी मौजूद रहे।